Last modified on 8 अप्रैल 2017, at 17:29

शोक / शुभा

अभी उम्र नहीं हुई थी
लेकिन वह चला गया
अभी तो जीवन शुरू भी
नहीं हुआ था

उसके जाने पर मैने महसूस किया
दुनिया छोटी हो गई है

अब भी पानी ठण्डा था
लेकिन उतनी ठण्डक कम हो गई थी
जितनी वह महसूस करता था
असल मे उतना पानी ख़त्म हो गया था

उतनी दुनिया उतना दृश्य
ख़त्म हो गया था जितना वह देखता था

उसकी अनुपस्थिति हवा-पानी
दुनिया मे महसूस की जा सकती है

यहाँ तक कि भाषा
अपनी एक भंगिमा भूल चुकी थी
दुख और ख़ुशी की एक एक लट
ग़ायब थी

हालाँकि सब कुछ पहले जैसा ही था
शान्त एकरस और हलचल से भरा।