Last modified on 4 फ़रवरी 2018, at 18:34

श्मशान में भी... / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:34, 4 फ़रवरी 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजय चोरमारे |अनुवादक=टीकम शेखाव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

श्मशान में भी नहीं आती
शव
के जलने की दुर्गन्ध
धुएँ से आँखे भी नहीं
चिचिराती

शहर हिंसक होता जा रहा हैं
यह सच है
लेकिन
कहाँ हैं
मेरी सम्वेदनाएँ?

मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत