भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

श्याम-सलोने मुरली वाले / रेनू द्विवेदी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:50, 16 फ़रवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेनू द्विवेदी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

श्याम-सलोने मुरली वाले,
आकर धरा बचाओ।
मानव भटक-गया पथ से है,
फिर से राह दिखाओ।

अपने-अपने कर्तव्यों से,
सारा जग विचलित है।
अत्याचार बढ़ा धरती पर,
कंस बहुत पुलकित है।

पुन: जन्म लेकर कलयुग में,
कान्हा रास रचाओ।

एक नाग ने द्वापर में था,
किया सरित जल मैला।
आज भूमि पर नागों का ही,
विष व्यापक है फैला।

भय से मुक्ति मिले सबको अब,
ऐसा कुछ कर जाओ।

झूठ यहाँ अनिवार्य हुआ ज्यों,
सत्य हुआ वैकल्पिक।
अब दूभर लगता है गिरधर,
जीवन जीना ऐच्छिक।

अंत दुशासन का निश्चित हो,
ऐसी युक्ति बनाओ।

धर्म-कर्म में युद्ध छिड़ा है,
राजनीति है दूषित।
देख दृश्य यह कलयुग का प्रभु,
अन्तस होता पीड़ित।

प्रेम-वर्तिका करो प्रज्वलित,
जग का तिमिर मिटाओ।