कोई एक व्यक्ति है, जो
समता सिद्धान्त का
फैलाव करने के लिए
करता ही चलता है-
त्याग सब वैभव का।
लक्ष्मी उसे घेरती है
ऐश्वर्यशाली अपने कान्त को भुला करके,
किन्तु वह उसके सौन्दर्य से
आंखें फेर लेता है,
निर्धन, कंगाल ही
रहता है हमेशा वह
धरती में
सब को ही
अपना दोस्त मानता है;
प्रेम की अहिंसा की रोशनी
सारे विश्व में
फैलाता ही रहता है।
अत्याचारियों को
उदरस्थ कर लेता है,
जैसे गजराज खाता
पीपल के पत्तों को
और सुड़क लेता है
पानी को सूँड से।
पिता और माता ने
उसके गुण देख ये
”गज मुख का नाम दिया।
उस विचित्र देव को-
हजार बार मैं प्रणाम करता हूँ।