मथुरा महिमा कहि शेष महेश थके औ थकी विधि वेद ऋचा रे।
जित जाइ अजन्मा नें जन्म लियौ करि कौन सकै तिह की समता रे।
जग पालक ह्वै कवि 'प्रीतम'जू बनि बालक खेलत नित्य तहाँ रे।
सुर लोक चतुर्दस जाहि रटें सोइ इष्ट गुपाल मुकुन्द हमारे।।
मथुरा महिमा कहि शेष महेश थके औ थकी विधि वेद ऋचा रे।
जित जाइ अजन्मा नें जन्म लियौ करि कौन सकै तिह की समता रे।
जग पालक ह्वै कवि 'प्रीतम'जू बनि बालक खेलत नित्य तहाँ रे।
सुर लोक चतुर्दस जाहि रटें सोइ इष्ट गुपाल मुकुन्द हमारे।।