भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

श्री मुकुन्द गोपाल वन्दना / यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम'

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:19, 12 दिसम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम' |...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


मथुरा महिमा कहि शेष महेश थके औ थकी विधि वेद ऋचा रे।
जित जाइ अजन्मा नें जन्म लियौ करि कौन सकै तिह की समता रे।
जग पालक ह्वै कवि 'प्रीतम'जू बनि बालक खेलत नित्य तहाँ रे।
सुर लोक चतुर्दस जाहि रटें सोइ इष्ट गुपाल मुकुन्द हमारे।।