जँज गृन्द जग जोति विदित, देवनको देवतर। अंअगृन्त असुरन सँहार, भक्तन अनंदकर।
तं तृगृन्द तरनी सेतेज, शिव शक्ति महावल। हं हगृन्द हरि हरत कष्ट, हेरत जो एक पल॥
धं धगृन्द धरनी कहै, विनय मानि दाया करो।
क्षं क्षगृन्द क्षमि चूक को, दरस देहु माया हरो॥21॥
जँज गृन्द जग जोति विदित, देवनको देवतर। अंअगृन्त असुरन सँहार, भक्तन अनंदकर।
तं तृगृन्द तरनी सेतेज, शिव शक्ति महावल। हं हगृन्द हरि हरत कष्ट, हेरत जो एक पल॥
धं धगृन्द धरनी कहै, विनय मानि दाया करो।
क्षं क्षगृन्द क्षमि चूक को, दरस देहु माया हरो॥21॥