गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 11 सितम्बर 2016, at 02:54
श्रेणी:कवित्त
चर्चा
कविता कोश में कवित्त
"कवित्त" श्रेणी में पृष्ठ
इस श्रेणी में निम्नलिखित 200 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 437
(
पिछले 200
) (
अगले 200
)
न
नील पर कटि तट / बिहारी
नेत्र बरनन / रसलीन
नेत्रोपालंभ / सुजान-रसखान
नेमु ब्रत संजम के आसन अखंड लाइ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
नैन मतवारी सुनो गोप के कुमारी / महेन्द्र मिश्र
नैननि के आगे नित नाचत गुपाल रहैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
नैननि के नीर और उसीर सौ पुलकावलि / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
नौकरी केॅ जोगौ जेना सेमरो के फूल पाखी / अनिल शंकर झा
नौमासा बरनन / रसलीन
न्हात जमुना मैं जलजात एक दैख्यौ जात / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
प
पंच तत्त्व मैं जो सच्चिदानन्द की सत्ता सो तौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
पंजतन की स्तुति / रसलीन
पपीहा रे पीऊ की बोली ना सुनाव / महेन्द्र मिश्र
परकीया को मान / रसलीन
परकीया बरनन / रसलीन
परम पवित्र धार ताज शिव शंभु के जे / अनिल शंकर झा
परम प्रतापी श्री बृजेन्द्र महाराज धन्य / नाथ कवि
परम महान् गुण खान ज्ञान बान गाँधी / नाथ कवि
पहचान / हरगोविन्द सिंह
पहन के कोट पैंट / अभिषेक कुमार अम्बर
पाँचौ तत्व माहिं एक तत्व ही की सत्ता सत्य / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
पाती बरनन / रसलीन
पाबस ऋतु बरनन / रसलीन
पालना बरनन / रसलीन
पावस रितु बृन्दावनकी / बिहारी
पास बैठे हो / माखनलाल चतुर्वेदी
पासा उलआ है सुना हमने यूरोप माँहि / नाथ कवि
पुरतीं न जोपै मोर चंद्रिका किरीट-काज / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
पुरुष व्रह्म / शब्द प्रकाश / धरनीदास
पूर्वानुराग / रसलीन
पोखरी के पोर-पोर थिर रहै ओर छोर / अनिल शंकर झा
प्यारी की रूसिबो / रसलीन
प्यारे परवीन सों प्यारी / कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज'
प्रथम पोलैन्ड में प्रचन्ड है मचायौ युद्ध / नाथ कवि
प्रथम भुराई चाह-नाय पै चढ़ाइ नीकै / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
प्रथम भुराई प्रेम-पाठनि पढ़ाइ उन / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
प्रथमहिं राखी मूँछ अरजुन से भारती नें / नाथ कवि
प्रेम की नाँव कुदाँव फँसी मन मोर मल्लाह सलाह कहाँ है / महेन्द्र मिश्र
प्रेम की मूरत, प्रेम की सूरत, प्रेम ही ईश्वर, लक्ष्य हमारो / शिवदीन राम जोशी
प्रेम लीला / सुजान-रसखान
प्रेम-नेम निफल निवारि उर-अंतर तैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
प्रेम-पाल पलटि उलटि पतवारि-पति / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
प्रेम-भरी कातरता कान्ह की प्रगट होत / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
प्रेम-मद-छाके पग परत कहाँ के कहौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
प्रोषितपतिका / रसलीन
प्रौढ़ा बरनन / रसलीन
प्रौढ़ा मान / रसलीन
फ
फाग बरनन / रसलीन
फाग-लीला / सुजान-रसखान
फूट गये हीरा की बिकानी कनी हाट हाट / गँग
फूलि रह चम्पा द्रुम कुसुम कमाल करे, फूलत रसाल नन्द लाल नहिं आवे री / महेन्द्र मिश्र
ब
बंसी बरनन / रसलीन
बड़का घरोॅ के बेटी गज भरी जीभवाली / अनिल शंकर झा
बड़ा ही कुरूप रूचिकर कनियो नै कहीं / अनिल शंकर झा
बसंत ऋतु नायिका / रसलीन
बसंत-ऋतु समीर बरनन / रसलीन
बाढ़्यौ ब्रज पै जो ऋन मधुपुर-बासिनि कौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
बात चलैं जिनकी उड़ात धीर धूरि भयौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
बिन अपराध मन मोहन को दोष थामि / चंद्रकला
बिरहानल दाह दहै तन ताप / बिहारी
बैठी विधुबदनी कृशोदरी दरी के बीच चोटिन को खींच-खींच तिरछी निहारती / महेन्द्र मिश्र
बैठे हैं गुपाल लाल प्यारी बर बालन में / चंद्रकला
बैरी संशय / नवीन सी. चतुर्वेदी
ब्रज की रज शीश चढ़ाया करूँ / शिवदीन राम जोशी
ब्रज की रज शीश चढ़ाया करूं / शिवदीन राम जोशी
ब्रज-प्रेम / सुजान-रसखान
ब्रज-रजरंजित सरीर सुभ ऊधव कौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
ब आगे.
ब्रह्म पसार / शब्द प्रकाश / धरनीदास
ब्राह्मण तो पोथी लिए भागे जात खिड़की राह / महेन्द्र मिश्र
भ
भई है निहाल नृपलाला को देखि सीया एक टक लाई रही प्रेम रस भीना है / महेन्द्र मिश्र
भए अति निठुर / घनानंद
भए अति निठुर, मिटाय पहचानि डारी / घनानंद
भद्रजनों की रीत नहीं ये संगाकारा / नवीन सी. चतुर्वेदी
भरमत भूत संग / कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज'
भागे नेवतहरी वस्त्र छोड़ि-छोड़ि द्वारन पे / महेन्द्र मिश्र
भाग्यहीन दीन दुखिया के सेविका छोॅ तोंहीं / अनिल शंकर झा
भाठी कै बियोग जोग-जटिल लुकाठी लाइ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
भारत की नैया के खिबैया मुदे जेल बीच / नाथ कवि
भारत की फूट को फजीतौ कहैं नाथ कवि / नाथ कवि
भारत के चारों ओर घूम रहे नेतागण / नाथ कवि
भारत के चारों ओर फैल रहौ हाहाकार / नाथ कवि
भारत में चारों ओर फैल रहौ हाहाकार / नाथ कवि
भारत में जैसी सुभाष की सुवास रही / नाथ कवि
भारतीय वीरो उठो युद्ध की तयारी करो / नाथ कवि
भूले जोग-छेम प्रेमनेमहिं निहारि ऊधौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
भेजे मनभावन के उद्धव के आवन की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
म
मंगलाचरण / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
मध्या की सुरतांत / रसलीन
मध्या को मान / रसलीन
मध्या धीरा बरनन / रसलीन
मन अब तो जाग / शिवदीन राम जोशी
मन की साख / माखनलाल चतुर्वेदी
महलोॅ में रहै वाला बड़का टा लोग तोहें / अनिल शंकर झा
मान कै बैठी है प्यारी 'प्रवीन' / प्रवीणराय
मानवती राधा / सुजान-रसखान
मानी ब्रह्म बानीं सों पताल जान ठानी चली / रमादेवी
माने जब नैकु ना मनाएं मन-मोहन के / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
मारा मारा कहि के / महेन्द्र मिश्र
मीठीॅ मीठोॅ गंध लेनॅे मन में उमंग लेनै / अनिल शंकर झा
मुख मंडल बरनन / रसलीन
मुट्ठी बाँध आए कुछ नेकी ना कमाए / महेन्द्र मिश्र
मुरली प्रभाव / सुजान-रसखान
मुस्कान माधुरी / सुजान-रसखान
मृतक भोज / हरगोविन्द सिंह
मेरो जीव जो मारतु मोहिं तौ / घनानंद
मैं अपनौ मनभावन लीनों / बिहारी
मोर के पखौवनि को मुकुट छबीलौ छोरि / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
मोरा राम दुनू भइया से बनवाँ गइले ना / महेन्द्र मिश्र
मोह-तम-राशि नासिबे कौं स-हुलास चले / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
मोही तो भरोसो है / शिवदीन राम जोशी
य
यमुना जल भरन गई / शिवदीन राम जोशी
यूरोप ते आयौं मदारी एक भारत में / नाथ कवि
र
रचर्लो विधाता हाथें एक पर एक जीव / अनिल शंकर झा
रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ / बिहारी
रस के प्रयोगनि के सुखद सु जोगनि के / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
रसराज / हरगोविन्द सिंह
रसें रसें दुनिया ई डूबी गेलै पापी संगें / अनिल शंकर झा
रहति सदाई हरियाई हिय-घायनि में / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
राग कीन्हीं रंग कीन्हीं ओ कुसंग कीन्हों / महेन्द्र मिश्र
राजनीति खड़ा करो जाति के जमीन पर / विजेता मुद्गलपुरी
राजा के कुमार सभ तो निपट सुकुमार दोऊ / महेन्द्र मिश्र
राजा रे दुलरूआ केॅ काहे दुःख देल्होॅ विधि / अनिल शंकर झा
रातभर मंदिरोॅ में दिया काँपलोॅ गेलै आ / अनिल शंकर झा
राति-द्यौस कटक सजे / घनानंद
राधा का सौंदर्य / सुजान-रसखान
राधा मुख-मंजुल सुधाकर के ध्यान ही सौं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
राधिका रीस भरी / शिवदीन राम जोशी
राम आरो कृष्ण के भी जनैवाली धरती ई / अनिल शंकर झा
राम जी के विमुखी को सुखी कवन देखा कहीं / महेन्द्र मिश्र
रावरे पठाए जोग देन कौं सिधाए हुते / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
रास लीला / सुजान-रसखान
रीत से रहोगे कान्ह प्राण हूँ के मेरे प्राण / महेन्द्र मिश्र
रीते परे सकल निषंग कुसुमायुध के / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
रूप-माधुरी / सुजान-रसखान
र आगे.
रूप-रस पीवत अघात ना हुते जो तब / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
रोजे सुती उठी घोॅर ऐंगना बुहाड़ी फनूं / अनिल शंकर झा
ल
लटपटात गिरत जात धाय-धाय शिथिल गात / महेन्द्र मिश्र
लाजनि लपेटि चितवनि / घनानंद
लाल बहादुर शास्त्री / नाथ कवि
ले लो प्यारे फूल हमारे जरा लिहाज नहीं कीजै / महेन्द्र मिश्र
लैके पन सूछम अमोल जो पठायौ आप / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
व
वसंत के पद / शिवदीन राम जोशी
वसंत रंग छायो है / शिवदीन राम जोशी
वहै मुसक्यानि / घनानंद
वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै / घनानंद
वारिध अपार लों मच्यौ है विश्व-व्यापी युद्ध / नाथ कवि
वाही मुख मंजुल की चहतिं मरीचैं सदा / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
विकसित विपिन बसंतिकावली कौ रंग / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
वियोग-वर्णन / सुजान-रसखान
विरह-बिथा की कथा अकथ अथाह महा / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
विश्रब्ध नवोढ़ा बरनन / रसलीन
विश्वास प्यार केरोॅ नीव छेकै मजबूत / अनिल शंकर झा
वैस की निकाई, सोई रितु सुखदाई / घनानंद
श
शठ नायक / रसलीन
शत में इंजोरिया में फूल झरलोॅ गेलै आ, / अनिल शंकर झा
शांतरस कबित्त / रसलीन
शान्त सत्याग्रह कौ भयौ है अन्त कोऊ कहै / नाथ कवि
शिव / शिवदीन राम जोशी
शिव महिमा / शिवदीन राम जोशी
शिवाष्टक / शिवदीन राम जोशी
शीतोॅ में नहैलोॅ एक कमलोॅ के कलिका कि / अनिल शंकर झा
श्यामल शिखी गल सुरंग अंग चारु / शिवपूजन सहाय
श्रीराम का बाल्यावस्था शृंगार वर्णन / शिवपूजन सहाय
श्रीराम विवाह के समय की छविछटा / शिवपूजन सहाय
श्रीराम विवाह छवि वर्णन / शिवपूजन सहाय
ष
षटरस-व्यंजन तौ रंजन सदा ही करें / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
स
संसार उस के साथ है जिस को समय की फ़िक्र है / नवीन सी. चतुर्वेदी
सखी को सिच्छा / रसलीन
सखी बचन नायक प्रति / रसलीन
सखी शिक्षा / सुजान-रसखान
सतसंग बिना ना रंग चढ़े / शिवदीन राम जोशी
सपत्नी-भाव / सुजान-रसखान
सब छै पहिलके ना, घरोॅ में अमानती ना / अनिल शंकर झा
सब झूठ / शब्द प्रकाश / धरनीदास
समधिन बरनन / रसलीन
सरग न चाहें अपबरग न चाहैं सुनो / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
सरद ऋतु मध्य चाँदनी बरनन / रसलीन
साँझ ओ विहान हम तो स्याम मुख हेरत हैं / महेन्द्र मिश्र
सागर समीप सन् ग्रह, गुण, निध, शशि / नाथ कवि
साधि लैहैं जोग के जटिल जे बिधान ऊधौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
साधिहैं समाधि औ’ अराधिहैं सबै जो कहो / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
सामान्य सुखमादर्शन / शिवपूजन सहाय
सामान्या बरनन / रसलीन
सावन आवन हेरि सखी / घनानंद
सास के विलोके सिंहिनी सी जमुहाई लेत / महेन्द्र मिश्र
सिख-नख बरनन / रसलीन
सीत-घाम-भेद खेद-सहित लखाने सब / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
सीतल सरीर ढार / प्रवीणराय
सीता असगुन कौं कटाई नाक एक बेरि / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
सील सनी सुरुचि सु बात चलै पूरब की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
सुकीया को मान / रसलीन
सुकीया बरनन / रसलीन
सुख अपनाय लेली दुःख बिसराय दहौ / अनिल शंकर झा
सुघर सलोने स्यामसुन्दर सुजान कान्ह / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
सुधि-बुधि जाति उड़ि जिनकी उसाँसनि सौं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
सुन लो हठीले कान्ह गोकुला को आना जाना / रमादेवी
सुनसान वियावान जीवनोॅ के राह पर / अनिल शंकर झा
सुनि सुनि ऊधव की अकथ कहानी कान / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
सुनीं गुनीं समझी तिहारी चतुराई जिती / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
सुन्दर सोहावन वस्तु जितने हैं जनकपुर के चौहट बाजार प्यारे तुम को दिखलाऊँ मैं / महेन्द्र मिश्र
(
पिछले 200
) (
अगले 200
)