भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"श्रेणी:बाल-कविताएँ" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (New page: कविता कोश में संकलित बच्चों के लिये रचित काव्य में से अधिकतर की कड़ियाँ ...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
कविता कोश में संकलित बच्चों के लिये रचित काव्य में से अधिकतर की कड़ियाँ नीचे दी गयी हैं।
+
[[जब सूरज जग जाता है /रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’]]
 +
{{KKGlobal}}
 +
 
 +
 
 +
{{KKRachna /रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
 +
 
 +
}}
 +
 
 +
आँखें मलकर धीरे-धीरे <br>
 +
 
 +
सूरज जब जग जाता है ।<br>
 +
 
 +
सिर पर रखकर पाँव अँधेरा <br>
 +
 
 +
चुपके से भग जाता है ।<br>
 +
 
 +
हौले से मुस्कान बिखेरी <br>
 +
 
 +
पात सुनहरे हो जाते ।<br>
 +
 
 +
डाली-डाली फुदक-फुदक कर<br>
 +
 
 +
सारे  पंछी  हैं  गाते  ।<br>
 +
 
 +
थाल भरे मोती ले करके<br>
 +
 
 +
धरती स्वागत करती है ।<br>
 +
 
 +
नटखट किरणें वन-उपवन में<br>
 +
 
 +
खूब चौंकड़ी भरती हैं ।<br>
 +
 
 +
कल-कल बहती हुई नदी में <br>
 +
 
 +
सूरज खूब नहाता है<br>
 +
 
 +
कभी तैरता है लहरों पर<br>
 +
 
 +
डुबकी कभी लगाता है ।<br>
 +
>>>>>>>>>>>>>

23:02, 15 अप्रैल 2008 का अवतरण

जब सूरज जग जाता है /रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’


साँचा:KKRachna /रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

आँखें मलकर धीरे-धीरे

सूरज जब जग जाता है ।

सिर पर रखकर पाँव अँधेरा

चुपके से भग जाता है ।

हौले से मुस्कान बिखेरी

पात सुनहरे हो जाते ।

डाली-डाली फुदक-फुदक कर

सारे पंछी हैं गाते ।

थाल भरे मोती ले करके

धरती स्वागत करती है ।

नटखट किरणें वन-उपवन में

खूब चौंकड़ी भरती हैं ।

कल-कल बहती हुई नदी में

सूरज खूब नहाता है

कभी तैरता है लहरों पर

डुबकी कभी लगाता है ।

>>>>>>>>>>>>>

"बाल-कविताएँ" श्रेणी में पृष्ठ

इस श्रेणी में निम्नलिखित 200 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 4,019

(पिछले 200) (अगले 200)

इ आगे.

ए आगे.

(पिछले 200) (अगले 200)