Last modified on 18 जून 2021, at 22:01

संगिनी / निमिषा सिंघल

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:01, 18 जून 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निमिषा सिंघल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

संगिनी, गृह स्वामिनी वह वामांगिनी।
आर्य पग धरे वह साथ हो, सुखद अनुभूति का अहसास हो।
वह स्मिता वह रागिनी वह साध्वी, धर्मचारिणी।
निश्छल हंसी उज्ज्वल छवि सुरम्यता बेमिसाल हो।
शीतल भी हो गरिमामयी, कल-कल ध्वनि-सी निनादनी।
निरन्न उपवास धारिणी, सावित्री-सी आनंद दायिनी।
अतुल्य जो चंचल भी हो, प्राण प्रिय ऐसी सुहासिनी।