Last modified on 19 अगस्त 2014, at 11:02

संन्यासी तोता / रमेश रंजक

मेरे घर में तोता है
तोता है भाई तोता है ।

लाल चोंच है पंख हरे
दोनों रंग बहुत गहरे
बीच गले में माला-सी
पहने है यह संन्यासी

केवल राम-राम रटता
ध्यान नहीं इसका बँटता
ऐसा कैसे होता है
मेरे घर में तोता है ।।

पिंजरे में ज्यों प्याली है
वह थोड़ी-सी खाली है
इसका यही कमण्डल है
इसमें थोड़ा-सा जल है

इस पानी को पीता है
पानी पीकर जीता है
अपनी चोंच डुबोता है
मेरे घर में तोता है ।।

जब-जब रोटी खाता है
बहुत-बहुत पछताता है
फल-फूलों का आदी है
यहाँ नहीं आज़ादी है

बन कोटर का अभ्यासी
खा कर पिंजरे की फाँसी
बैठा-बैठा रोता है
मेरे घर में तोता है ।।