भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

संभावानाओं के द्वार / ऋतु त्यागी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:00, 26 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋतु त्यागी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

संभावनाओं के द्वार तब बंद हो जाते हैं
जब हम स्वीकार कर लेते हैं
हर वह फैसला
जो किसी के भी हित में नहीं होता
पर हम उसे
अपनी नियति की कील मान
ठोक लेतें हैं
अपनी ज़िंदगी की चौखट पर
और जीने लगते हैं
उसकी चुभन के साथ
बिना ये सोचे
कि ज़िंदा रहने से ज़्यादा जरूरी है
हर थोपे गये फैसले के प्रति
अपनी अस्वीकृति दर्ज़ कराना।