Last modified on 5 फ़रवरी 2011, at 12:54

संस्कार / भरत ओला


धमली की मुंडेर पर
जब कौआ बोलता है
वह हँस कर
उड़ा देती है
सोने की चोंच के वादे के साथ
और करती है इन्तजार
बटोही का

मोनिका के डिस्क एंटिना पर
जब कभी कौआ बोलता है
वह हड़बड़ाकर
पत्थर फेंकती है
कोसती है
कर्कश आवाज को
मांगती है दुआ
कोई बला ना आ टपके ।