सखी री ठाढ़े नंद-कुमार|
सुभग स्याम घन सुख रस बरसत चितवन माँझ अपार।
नटवर नवल टिपारो सिर पर लकी छबि लाजत मार।
’हरीचंद’ बलि बूँद निवारत जब बरसत घन-धार॥
सखी री ठाढ़े नंद-कुमार|
सुभग स्याम घन सुख रस बरसत चितवन माँझ अपार।
नटवर नवल टिपारो सिर पर लकी छबि लाजत मार।
’हरीचंद’ बलि बूँद निवारत जब बरसत घन-धार॥