भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सच्चा मित्र / मुंशी रहमान खान

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

साईं सांचो मीत वहि जो कपास सम हो‍हि।
रक्षा करै तनु आय भर जियत न छोड़ै तोहि।।
जियत न छोड़ै तोहि मरे पर साथहिं जावै।
सड़ै मृतक तन तोर संग तोरे सड़ जावै।।
रहमान मीत ह्वै धन हरै विपति में जाय पराई।
अस सुमित्र से श्‍वान भल रहै द्वार पर साईं।।