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सच बोलो मुलाकात हुई क्या / मोहम्मद इरशाद

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सच बोलो मुलाकात हुई क्या
ख़ुद से ख़ुद की बात हुई क्या

उसने जब मेरा नाम सुना तो
आँखों से बरसात हुई क्या

जब देखो तक रूठे रहते
ये भी कोई बात हुई क्या

सब-कुछ सुना-सुनाया सा है
ये बोलो कोई नात हुई क्या

कुदरत के दस्तूर को छोड़ो
दिल के अन्दर रात हुई क्या

तुम बोलो ‘इरशाद’ कहीं पे
इंसानों की ज़ात हुई क्या