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सज गयी रे दुल्हनिया / रामकृपाल गुप्ता

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सज गई रे दुल्हनिया सज गई रे
तेरी बिंदिया, तेरा ही कजरा
तेरी लाली, तेरा ही गजरा
तेरे रंग में चुनरिया संवर गई रे
सज गई...
तेरा घुँघरू, तेरी पैंजनिया
छम छम नांचे राम तेरी रनिया
बिना फूँके बंसुरिया बज गई रे
सज गई रे...
पिया की सेज, पिया का ओढ़ना
पिया संग सोना, पिया संग रहना
पिया बहियाँ सिमट गई रज गई रे
सज गई रे...