http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A5%80_/_%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%B0_%E0%A4%9C%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%80&feed=atom&action=historyसती / सरवर जहानाबादी - अवतरण इतिहास2024-03-29T00:04:29Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A5%80_/_%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%B0_%E0%A4%9C%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%80&diff=164812&oldid=prevसशुल्क योगदानकर्ता ३: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरवर जहानाबादी }} {{KKCatNazm}} <poem> ऐ सती जल...' के साथ नया पन्ना बनाया2013-10-22T10:45:57Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरवर जहानाबादी }} {{KKCatNazm}} <poem> ऐ सती जल...' के साथ नया पन्ना बनाया</p>
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ऐ सती जल्वा-गाह-ए-शोला-ए-तनवीर-ए-हुस्न<br />
पाक-दामानी का नक़्शा है तिरी तस्वीर-ए-हुस्न<br />
ये तन-ए-नाज़ुक तिरा ये शोला-हा-ए-आतशीं<br />
ये चिता की आतिश-ए-सोज़ाँ ये जिस्म-ए-नाज़नीं<br />
साएक़ा है बर्क़ का तेरे दिल-ए-मुज़्तर की आग<br />
फूँक देती है तुझे सोज़-ए-ग़म-ए-शौहर की आग<br />
ख़ाक हो कर भी तिरे दाग़-ए-जिगर बुझते नहीं<br />
आह तेरी राख के बरसों शरर बुझते नहीं<br />
हिन्द को है नाज़ तेरी हिम्मत-ए-मर्दाना पर<br />
तू चराग़-ए-कुश्ता है ख़ाकिस्तर-ए-परवाना पर<br />
आग में है तू सपिंद-ए-शौक़ जलने के लिए<br />
शम-ए-मातम है शब-ए-ग़म में पिघलने के लिए<br />
गर्मी-ए-हंगामा-ए-महशर तिरी महफ़िल में है<br />
सर्द जो होती नहीं वो आग तेरे दिल में है<br />
कब गवारा आह है सोज़-ए-ग़म-ए-शौहर तुझे<br />
है हर इक तार-ए-नफ़स इक शोला-ए-मुज़्तर तुझे<br />
उफ़ री शौहर की चिता पर शोला-ए-अफ्रोजी तिरी<br />
जीते-जी सोज़-ए-मोहब्बत में जिगर-सोज़ी तिरी<br />
जाँ-गुदाज़ी की अदा ये शम-ए-महफ़िल में कहाँ<br />
वो चिता की आतिश-ए-जाँ-सोज़ वो दूद-ए-सियाह<br />
शौहर-ए-मुर्दा का सर वो ज़ानू-ए-नाज़ुक पे आह<br />
आग के वो हाए शोले और वो मुखड़ा चाँद सा<br />
लब पे कम कम सोख़ी-ए-बर्क़-ए-तबस्सुम की अदा<br />
हल्का फुल्का जिस्म-ए-नाज़ुक पर दुपट्टा सुर्ख़ सुर्ख़<br />
वस्ल-ए-रूहानी की शादी से वो चेहरा सुर्ख़ सुर्ख़<br />
आलम-ए-दूद-ए-सियह वो ज़ुल्फ़-ए-अम्ब-फ़ाम में<br />
दौड़ने वाले वो शोले हल्क़ा-हा-ए-दाम में<br />
आतिश-ए-सोज़ाँ में भी वो आह शौहर का ख़याल<br />
और वो दिल मंे गर्मी-ए-हंगामा-ए-शौक़-ए-विसाल<br />
जल के सोज़-ए-इजि़्तराब-ए-शौक़ में परवाना-वार<br />
ख़ुल्द में शौहर से होना उफ़ वो ख़ुश ख़ुश हम-कनार<br />
डाल देना वो गले में हँस के बाँहें प्यार से<br />
दिल लुभा लेना अदा-ए-शेव-ए-गुफ़्तार से<br />
हल्की हल्की चाँदनी कैफ़ियत-ए-गुल-गश्त-ए-बाग़<br />
वो लब-ए-जू आह हुस्न ओ इश्क़ के दो शब चराग़<br />
तुझ पे ऐ नाज़-आफ़रीं शौहर-परस्ती ख़त्म है<br />
इक शरार-ए-आरज़ू में तेरी हस्ती ख़त्म है<br />
</poem></div>सशुल्क योगदानकर्ता ३