भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सद्गुरु मेँहीँ बाबा के महिमा / रघुनन्दन 'राही'

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:00, 21 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रघुनन्दन 'राही' |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सद्गुरु मेँहीँ बाबा के महिमा महान छै गे बहिना।
जानि गेलै सारे जहान॥
जिला पूर्णियाँ थाना बनमनखी, धरहरा ग्राम गे।
पूज्य पिता श्री बबुजन माता जनकवती संतान गे॥
सात जटा शीश पर योगी के पहिचान गे बहिना।
जानि गेलै सारे जहान॥
विक्रम संवत 1942 शुक्ला चतुर्दशी बैसाख गे।
28 अपै्रल 1885 तिथि मंगलवार गे॥
जनकवती की गोद में मेँहीँ गुरु महान गे बहिना।
जानि गेलै सारे जहान॥
जनक जन्मभूमि धरहरा भव्य भवन उद्यान गे।
आश्रम के छै शोभा अनुपम कदली लीची आम गे॥
कुटी-कुआँ में बैठके आठो याम ध्यान गे बहिना।
जानि गेलै सरे जहान॥
कुप्पाघाट के भव्य गुफा में सारशब्द के ध्यान गे।
उसी गुफा में पैलकै बहिना पूरन पद निर्वाण गे॥
सत्संग सें सारे जग के कैलकै कल्याण गे बहिना।
जानि गेलै सारे जहान॥
मांस मछलिया अरु मदिरा दुर्गुण पाँच छुड़ाबै गे।
पर जननी को माता जानो आतम ज्ञान बताबै गे॥
दया धरम से करै जीव के उद्धार गे बहिना।
जानि गेलै सारे जहान॥
सब संतन के एके मत छै जोति नाद ही सार गे।
प्रभु दर्शन अपने अंदर चारो जड़ के पार गे॥
जन ‘रघुनन्दन’ मेँहीँ बाबा भव सें पार गे बहिना।
जानि गेलै सारे जहान॥