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सनम की गली / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित
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तुम याद दिलाओ
कि मैं
आऊं तुम्हारी गली!
नहीं आता
नहीं आऊंगा
मैं तुम्हारी गली
अबकी बारी है
तुम्हारी
आज नकद कल उधार
छज्जू बनिये की
दुकान पर लिखी
पंक्तियां जहन में
आ गई
ना ही गए हम
सनम की गली
जी हां !