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सन्नाटा इतना चीख़ा है / नासिर परवेज़

सन्नाटा इतना चीख़ा है
उस का गला ही बैठ गया है

जुगनू ने बीनाई खोई
इतना गहरा अन्धेरा है

दिल की कब तक बात सुनूँ मैं
इस का दुखड़ा रोज़ नया है

पैरों में दरिया बहते हैं
लेकिन मेरा दिल प्यासा है

आज तिरे लफ़्ज़ों की ज़िक से
सीने में शीशा चटख़ा है

ये कह कर दिल बहला नासिर
मैं उस का हूँ, वो मेरा है