बीज मन्त्र के सर्जक आये
किसके घेरे में,
अवचेतन के सन्न अँधेरे में।
खोज रहे हैं रेख किरण की
बची-खुची ताकत ले मन की
तोड़-फोड़ को भोग रही
पीढ़ी के डेरे में।
अवचेतन के सन्न अँधेरे में।
पारिजात बगिया में महकें
फिर पेड़ों पर टेसू दहकें
जगें पुरातन संस्कार के
चिह्न बसेरे में।
अवचेतन के सन्न अँधेरे में