भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सन् 77 के बच्चे / नील कमल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:12, 6 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नील कमल |संग्रह=हाथ सुंदर लगते हैं / नील कमल }} {{KKCatKa…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गाय-बछड़े की जोड़ी
सन् सतहत्तर में
हल जोतते किसान के
थी सामने ।

गाँव के किनारे
नहर से लगी कच्ची सड़क पर
धूल उड़ाती गाड़ी में
आए गाय-बछड़े वाले ।

शाम ढले धुँधलके में
चौपाल में बैठे
हल जोतने वाले किसान के
हमदर्द ।

गाँव अगली सुबह तक
बँट गया था
गाय-बछड़े और हल-किसान में ।

मर्द, औरत, अल्हड़, बूढ़े
बँट गए सब

नहीं बँटे तो सिर्फ़ बच्चे
गाँव में घूमते
पाली बाँधकर लगाते नारे
सुबह गाय-बछड़ा
शाम हल-किसान ।