भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सपना / लैंग्स्टन ह्यूज़ / यादवेन्द्र

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:09, 18 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लैंग्स्टन ह्यूज़ |अनुवादक=यादवे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक सपने को टालते रहने से क्या होता है?
क्या वह सूख जाता है
किशमिश-सा धूप में?
या ज़ख़्म-सा पक जाता है
और फिर रिसा करता है?
या बदबू करता है
सड़े हुए गोश्त-सा?
या कि पगी हुई मिठाई की तरह
उस पर चीनी की पपड़ी जम जाती है?
मुमकिन है वह सिर्फ़ लद जाता हो
भारी बोझ जैसा?
           कहीं वह बारूद-सा फट तो नहीं पड़ता?

अँग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र