Last modified on 18 दिसम्बर 2020, at 00:41

सपने और हकीकत / नवीन कुमार सिंह

मेरे सपने ताजमहल से और हकीकत है फुटपाथी
दुनिया में बाजार लगा है, मेरे सौदे हैं जज्बाती

दो जुगनू से बदल लिये हैं मैंने अपने चाँद सितारे
मुस्कानों के राजतिलक हैं पर मैंने सिंहासन हारे
मेरे मनहर इंद्रधनुष पर लगी हुई है साढ़े साती
दुनिया में बाजार लगा है, मेरे सौदे हैं जज्बाती

खेत नहीं खलियान नहीं है, फिर भी अपना गाँव कहाए
जैसे ताड़ की छाया भी तो कहने को है छाँव कहाए
जिन राहों पे चलता हूँ मैं, सरकारी हैं या खैराती
दुनिया में बाजार लगा है, मेरे सौदे हैं जज्बाती

मिली न कोयल तो कौवों की धुन पर है संगीत सजाया
टूटे बर्तन को ढोलक कर मैंने उत्सव गीत है गाया
मेरे अरमानों की शादी में हिम्मत ही हैं बाराती
मेरे सपने ताजमहल से और हकीकत है फुटपाथी
दुनिया में बाजार लगा है, मेरे सौदे हैं जज्बाती