गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 27 दिसम्बर 2010, at 21:39
सपने / पूरन मुद्गल
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
पूरन मुद्गल
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
मैंने
सपनों के गुब्बारे
उड़ाए
वे / आकाश में
विलीन हो गए
फिर
इतना संतोष / कि वे कभी
कहीं तो उतरेंगे ।