भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सपने / लैंग्स्टन ह्यूज़ / अमर नदीम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लैंग्स्टन ह्यूज़ |अनुवादक=अमर नद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=लैंग्स्टन ह्यूज़
 
|रचनाकार=लैंग्स्टन ह्यूज़
 
|अनुवादक=अमर नदीम
 
|अनुवादक=अमर नदीम
|संग्रह=स्थगित स्वप्न / लैंगस्टन ह्यूज़ / अमर नदीम
+
|संग्रह=स्थगित स्वप्न / लैंग्स्टन ह्यूज़ / अमर नदीम
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}

18:18, 23 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

अपने सपनों को कसकर थामे रहो
क्योंकि अगर सपने मर जाते हैं
तो जीवन एक टूटे हुए पंखों वाली चिड़िया
बन कर रह जाता है
जो उड़ नहीं सकती।

अपने सपनों को कसकर थामे रहो
क्योंकि जब सपने चले जाते हैं
जीवन एक बर्फ़ीली क़ब्र के तले दबा हुआ
एक बंजर खेत भर रह जाता है।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अमर नदीम