भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सफ़र से लौट जाना चाहता है / शकील जमाली

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता २ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:07, 29 जुलाई 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शकील जमाली }} {{KKCatGhazal}} <poem> सफ़र से लौट ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सफ़र से लौट जाना चाहता है
परिंदा आशियाना चाहता है

कोई स्कूल की घंटी बजा दे
ये बच्चा मुस्कुराना चाहता है

उसे रिश्ते थमा देती है दुनिया
जो दो पैसे कमाना चाहता है

यहाँ साँसों के लाले पड़ रहे हैं
वो पागल ज़हर खाना चाहता है

जिसे भी डूबना हो डूब जाए
समंदर सूख जाना चाहता है

हमारा हक़ रक्खा है जिस ने
सुना है हज को जाना चाहता है