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सफ़ाई की सौगन्ध / दीनदयाल शर्मा

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आओ हम सब करें सफ़ाई
रलमिल सारे बहना भाई

तन की मन की आस-पास की
इधर-उधर की आम खास की
जगह-जगह जो लग गए जाले
उनकी है अब शामत आई ।

गर हम सारे रखें सफ़ाई
कण-कण की यदि करें धुलाई
फिर सारे नीरोग रहेंगे
बीमारी में लगे न पाई ।

पहला सुख नीरोगी काया
विद्वानों ने बात बताई
नित्य कर्म से जोड़ेंगे नाता
सबने मिल सौगन्ध है खाई ।