भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सबको मालूम है मैं शराबी नहीं / अनवर फ़र्रूख़ाबादी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) छो (Sharda suman ने सबको मालूम है मैैं शराबी नहीं / अनवर फ़र्रूख़ाबादी पृष्ठ [[सबको मालूम है मैं शराबी नहीं /...) |
|
(कोई अंतर नहीं)
|
11:57, 27 सितम्बर 2018 का अवतरण
सब को मालूम है मैं शराबी नहीं
फिर भी कोई पिलाए तो मैं क्या करूँ
सिर्फ़ एक बार नज़रों से नज़रें मिलें
और क़सम टूट जाए तो मैं क्या करूँ
मुझ को मैं खुश समझता है सब बड़ा खुश
क्यूँ के उनकी तरह लड़खड़ाता हूँ मैं
मेरी रग रग में नशा मुहब्बत का है
जो समझ में ना आए तो मैं क्या करूँ
हाल सुन कर मेरा सहमे-सहमे हैं वो
कोई आया है ज़ुल्फ़ें बिखेरे हुए
मौत और ज़िंदगी दोनों हैरान हैं
दम निकलने न पाए तो मैं क्या करूँ
कैसी लूट कैसी चाहत कहाँ की खता
बेखुदी में हाय अनवर खिदू(?) का नशा
ज़िंदगी एक नशे के सिवा कुछ नहीं
तुम को पीना न आए तो मैं क्या करूँ