भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सबद-1 / ओम पुरोहित ‘कागद’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जुद्ध मंय
मिनख री
लगोलग हार रै बाद बी
बच रैया है
सबद
पळकता
सूरज दांई
आवण आडा
प्रीत री रीत
बिसतारण ।