Last modified on 12 जून 2017, at 22:24

सबद : दो / राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:24, 12 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सबद रचावै रास
बधावै आस
कर देवै जड़ नै चेतण
कदै कालिदास
अर तुलसीदास
तो कदै पाणिनि।

अंवेर नै राखौ
काळजै मांय
जीभ सूं ओलै।