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सबु कि बौ, बदेणि बौ / केशव ध्यानी

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सबु कि बौं<ref>भाभी</ref>, बदेणि<ref>नाचने वाली</ref> बौ
त्यारो घुँघरू बाज्यो छम।
धणा गौं का बाठा औंदी तु बाँदी
दुहाते<ref>दोनों हाथों से</ref> माया<ref>प्रेम</ref> बाँटदी जाँदी
गजब कदी तू आँख्यौंन खाँदी
इतरि नि छै तू जम-कम।
हातु नि पकड़ंदी, भुयाँ नी धरेंदी
क्वी धड़ि आँख्यौंन फंुडुनी करेंदी
तरसेंद त्वै पर, जै भी दिखेंदी
चालि-सि चंचल चम-चम।

बीच बजार मा मेलो लग्यूँ च
हर कौथगेर<ref>तमाशबीन</ref> त्वे पर मर्यूँ च
खौल कि तेरो खिरचा खत्यूँ च
खिरचा खत्यूँ च छम छम।

शब्दार्थ
<references/>