भुजंगप्रयात
(परिपूर्ण ऋतुराज का प्रकाश रूप से वर्णन)
सबै फूल फूले, फबे चारु सोहैं । भँवैं भौंर भूले, भले चित्त-मोहैं ॥
बहै मंद-ही, मंद-ही, बायु रूरे । सुबासैं, सबै भाँति-सौं सोभ-पूरे ॥१७॥
भुजंगप्रयात
(परिपूर्ण ऋतुराज का प्रकाश रूप से वर्णन)
सबै फूल फूले, फबे चारु सोहैं । भँवैं भौंर भूले, भले चित्त-मोहैं ॥
बहै मंद-ही, मंद-ही, बायु रूरे । सुबासैं, सबै भाँति-सौं सोभ-पूरे ॥१७॥