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सब कुछ पूछो, हाल न पूछो / गोपाल कृष्ण शर्मा 'मृदुल'

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सब कुछ पूछो, हाल न पूछो।
आँखें हैं क्यों लाल, न पूछो।।

जो सच को बेपरदा कर दे,
ऐसे कठिन सवाल न पूछो।।

उनसे दिल का राज कह दिया,
फिर जो हुआ बवाल न पूछो।।

लाखों की ख्वाहिश जब रोटी,
क्यों कुछ को तर माल न पूछो।।

कैसे रहते, क्या-क्या सहते,
बीते सत्तर साल, न पूछो।।

जन सेवा में ऐसा क्या जो,
करती मालामाल, न पूछो।।

भाई की आँखों में भी क्या,
‘मृदुल’ सुअर का बाल न पूछो।।