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सब भाँति दैव प्रतिकूल... / भारतेंदु हरिश्चंद्र

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सब भाँति दैव प्रतिकूल होय यहि नासा।
अब तजहु बीरवर भारत की सब आसा।।
अब सुख सूरज को उदय नहीं इत ह्नैहै।
मंगलमय भारत भुव मसान ह्नै जै है।।