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"सब में मिट्टी है भारत की / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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सब ईंटें एक इमारत की
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भाले, बंदूकें, तलवारें
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हल बैल उगलती यही ज़मीं
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गाँधी, गौतम भी हुए यहीं
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बाकी सब बात शरारत की
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इस मिट्टी के ऐसे पुतले
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जो इस मिट्टी के नहीं हुए
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उनसे मिट्टी वापस ले लो
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पर ऐसे सब पर मत डालो
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अपनी ये नज़र हिकारत की
 
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20:53, 21 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

किसको पूजूँ
किसको छोड़ूँ
सब में मिट्टी है भारत की

पीली सरसों या घास हरी
झरबेर, धतूरा, नागफनी
गेहूँ, मक्का, शलजम, लीची
है फूलों में, काँटों में भी

सब ईंटें एक इमारत की

भाले, बंदूकें, तलवारें
गर इसमें उगतीं ललकारें
हल बैल उगलती यही ज़मीं
गाँधी, गौतम भी हुए यहीं

बाकी सब बात शरारत की

इस मिट्टी के ऐसे पुतले
जो इस मिट्टी के नहीं हुए
उनसे मिट्टी वापस ले लो
पर ऐसे सब पर मत डालो

अपनी ये नज़र हिकारत की