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सब सपने सील गये / ज्ञान प्रकाश आकुल

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गीली आंखों में रहकर सब सपने सील गये।

आशाओं के चक्रव्यूह ने कुछ ऐसे उलझाया,
सारे कष्ट लगे मीठे से जब जिसको अपनाया,
बिन पत्थर देखे हम जाने कितने मील गये I

सबने अपने फर्ज़ निभाये सबने हमको चाहा,
एक हाथ अंगारे लाये एक हाथ में फाहा,
हम ही थे जो सदा प्यास तक लेकर झील गये।

रंग बिरंगी कमली ओढ़े सूरा दर दर घूमे,
दाग लगी चादर में कबिरा मस्त मगन हो झूमे,
लगता है सूरज को पुच्छल तारे लील गये।