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सभी साथ मिलकर हटाये न पत्थर / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

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सभी साथ मिलकर हटाये न पत्थर।
मुसाफिर न समझे खुदा और ईश्वर।।

बहुत है बुराई मगर आदमी हूँ।
भुलाना नहीं तुम गले से लगाकर।।

कभी दुश्मनी से चिता मत जलाओ।
खुदा ने बनाया न जाना मिटाकर।।

चले जा रहे हम किनारे-किनारे।
हवा ले न जाये नदी में बहाकर।।

ज़रा देख लेना हवा को नज़र से।
कहीं ले न जाये हमें वह उड़ाकर।।

लगातार चलना, यही ज़िन्दगी है।
मिले जब किसी से सभी गम भुलाकर।।