Last modified on 3 मई 2019, at 16:42

सभ्भै के कल्याण / ब्रह्मदेव कुमार

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:42, 3 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रह्मदेव कुमार |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRac...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सर्व शिक्षा अभियान हो, शिक्षा अभियान
पढ़ाय-लिखाय करतै, सभ्भै के कल्याण।

जेहूँ नाहीं पढ़लेॅ छै, वहूँ-वहूँ पढ़तै
पाँच सालोॅ के सभ्भे बच्चा, स्कूल आबेॅ जैतै।
आबेॅ नाहीं रहतै, मुरखा समान॥

भाय-भाय पढ़तै, बहिन-बहिन पढ़तै
पढ़ी-लिखी बनतै, जिनगी सुख पैतै।
नाची-नाची छेड़तै, बाँसुरी के तान॥

तन सुखी होतै, मन भी सुखी होतै
पढ़ी-लिखी सब, जन-जन सुखी होतै।
जिनगी में ऐतै, हँसी-मुस्कान॥