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{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जहीर कुरैशी
}}
 
{{KKPustak
|चित्र=
|नाम=समंदर ब्याहने आया नहीं है
|रचनाकार=[[जहीर कुरैशी]]
|प्रकाशक= अयन प्रकाशन 1/20 महरौली, नई दिल्ली-110030
|वर्ष= 1992
|भाषा=हिन्दी
|पृष्ठ=88
|ISBN=
|विविध=--
}}
*[[जब भी औरत ने अपनी सीमा रेखा को पार किया / जहीर कुरैशी]]
*[[जो बेहद मुश्किल लगता था उसको भी आसान किया / जहीर कुरैशी]]
*[[जिधर कामनाएँ थीं, वे अपने मन के आधीन हुए / जहीर कुरैशी]]
*[[न मुझसे पूछिए अपने उसके सुभाव की बातें / जहीर कुरैशी]]
*[[वो घुप अँधेरे में भी ये कमाल कर देखे / जहीर कुरैशी]]
*[[पैर अपने थे मगर उनके इशारों पर चले / जहीर कुरैशी]]
*[[कम से कम ये बात मेरी अक़्ल से बाहर नहीं / जहीर कुरैशी]]
*[[दिल को जीता नहीं प्यार से / जहीर कुरैशी]]
*[[वो जाकर क्यों नहीं लौटा अभी तक/ जहीर कुरैशी]]
*[[हर क़दम पर ही सियासत है इधर से देखिए / जहीर कुरैशी]]
*[[स्वस्थ रहने की कड़ी तैयारियों के साथ/ जहीर कुरैशी]]
*[[न मुझसे पूछ सियासत की चाल को लेकर/ जहीर कुरैशी]]
*[[कंठ रुँधता है, तो पल दो पल ठहरकर, बात कर / जहीर कुरैशी]]
*[[जुलूसों में मिले श्रीहीन चेहरे / जहीर कुरैशी]]
*[[वे अपने भाषण द्वारा नफ़रत फैलाने आते हैं / जहीर कुरैशी]]
*[[घर के अंतिम बरतनों को देखकर बेचकर / जहीर कुरैशी]]
*[[विडंबना में भी उसी को भला समझता रहा / जहीर कुरैशी]]
*[[व्यक्त होने की बहुत क्रोध ने तैयारी की / जहीर कुरैशी]]
*[[घर की तू-तू मैं-मैं, बाहर के लोगों तक आ पहुँची / जहीर कुरैशी]]
*[[हिरनी को जब याद सताती है अपने मृग-छोने की / जहीर कुरैशी]]
*[[कुछ तो छिपा रहे हो तुम, अपने मन की सच्चाई से/ जहीर कुरैशी]]
*[[उम्र-भर मित्रताओं में उलझे रहे / जहीर कुरैशी]]
*[[उम्र के साथ मौसम बदलते रहे / जहीर कुरैशी]]