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समदर (दोय) / इरशाद अज़ीज़

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रेत रो समदर
अणमावतै सोनै जैड़ो
जुगां सूं राखै आपरै मांय
पाणी रा सैनाण
बिरखा नीं आवै
बादळ हाका कर निसर जावै
फेर भी मुळकतो रैवै
गांवतो रैवै किण मलंग री भांत
जीवण रा गीत।