Last modified on 4 अप्रैल 2010, at 00:19

समयातीत पूर्ण-8 / कुमार सुरेश

हे महाबाहु !
तुम पूर्ण आदि अक्षर
तुम सृष्टि का आरम्भ और धारणकर्ता
तुम प्रति क्षण जीवन की आहट
 
हज़ारों सूर्यों के समान
प्रल्याग्नि सम
तुम्हारे दैदीप्यमान मुख में
पूर्ण वेग से प्रवेश करते हैं
सारे योद्धा, सारा जगत चराचर
मानो नदियों की तरंगें
प्रवेश करती हैं समुद्र में
 
हर क्षण विनाश,
विराट में जीवन का विलय
तुम्हारी ही इच्छा से
संपन्न हो सकता है
तुम्ही सृष्टि का जन्म और विलय हो
तुम्ही सर्वभक्षी मृत्यु हो ?
आदि स्रष्टा !