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"समय की उस स्निग्धता में / सुरेश चंद्रा" के अवतरणों में अंतर

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और जब ...
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पूरी दुनिया में ...
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केवल हम दो बचे ...
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जो बाँट सकते थे ...
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एक दूसरे से, एक दूसरे को ...
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कह सकते थे ...
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सौंपना है सब, अब ...
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सारे का सारा ...
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सारे का सारा
  
समय की उस स्निग्धता में ...
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समय की उस स्निग्धता में
हमने 'एक' होना तय कर लिया ... ... .... !!
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हमने एक होना तय कर लिया.
 
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13:43, 20 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

और जब
पूरी दुनिया में
केवल हम दो बचे

जो बाँट सकते थे
एक दूसरे से, एक दूसरे को
पूरे का पूरा

कह सकते थे
सौंपना है सब, अब
सारे का सारा

समय की उस स्निग्धता में
हमने एक होना तय कर लिया.