भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

समानुपाती रिश्ता / जितेन्द्र सोनी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:25, 18 अगस्त 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जितेन्द्र सोनी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारी चिंता
शेयर सूचकांक गिरने की है
जो किसी क्लब में
अंग्रेजी बोलते हुए
सिगरेट, ड्रिंक्स के साथ
नशे में घुल जाती है
मेरी चिंता भी
गिरने की ही है
मगर घर की सरकंडों की छत की
और ये चिंता
गालियां बकते हुए
बीड़ी, हथकड़ दारू के साथ
उतरती नहीं है
जब स्क्रीन पर
बीएसई चढ़ रहा होता है
और तुम
तिजोरियां भर रहे होते हो
तो मैं जमीर की सीढ़ियां उतरकर
बेच आता हूँ
अंतिम जेवर भी
पत्नी का गला खाली करके
एक छत के लिए
चिंताओं की धार का
पेट के खालीपन से
समानुपाती रिश्ता है !!