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समुद्र तट की ओर उड़ते हुए-4 / इदरीस मौहम्मद तैयब

मेरी नन्हीं मरियम के नाम

एक आदमी जो तितली बनना चाहता था
उनको फिर से कहता, जैसे कि मैं
अपने सपनों का ख़ून में खिलते बखान करता हूँ
ख़ुशी की सुगंध मेरी तरह
उनकी साँसों की शांत लय पर सोते हुए,
कवियों को जीत लेती है
उनकी आँखों के बंद हो जाने तक
जब वे किसी छोटे बच्चे की उँगली को
एक मुलायम तकिए-सा
सपने में देखते हैं
यह सोने का वक़्त है
मेरे आज़ाद सूर्य-पक्षी
अपनी नन्हीं उँगली मुझे दो
जिससे मैं आराम कर सकूँ ।

रचनाकाल : त्रिपोली, 13 दिसम्बर 1979
अँग्रेज़ी से अनुवाद : इन्दु कान्त आंगिरस