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सम्पादक की होली / बेढब बनारसी

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1.
पोते 'पोमेड' मले मुख 'पौडर' ऐनक आँख चढ़ी 'गजनैनी'
आननपै करके 'करचीफ' धरे, जनु जर्म बचावत जैनी
टेढ़ा करै मुख ऐसा बनाय के भोजपुरी मनो खात है खैनी
कूदती ये स्कूल चलै 'मृग-गामिनी' भामिनी 'मेढकबैनी'
 
नोट: जैनी = जैन धर्म मानने वाले

2.
यह भात सा गात है फूला हुआ, अथवा पकी रोटी तंदूर की है
जग जाता जहान सुने बरबैन, सुबानी मनो तमचूर की है
कच काले से बाल के हैं ये बढ़े, कि यह लंबी सी लूम लंगूर की है
मुख पे हैं मुहासे ये लाल घने मनो लीची मुजफ्फरपूर की है
 
नोट; जग जाता = जाग जाता
तमचूर = मुर्गा