एक छद्म आवरण ओढ़े है
प्रत्येक आदमी और
कितनी तरह से सम्प्रीति की
गाँठें बान्धकर
सम्बन्धों को जोड़े है
फिर भी कहता
यह प्रवँचना थोड़े है ।
झाउ का पुरवा (प्रतापगढ़), 04 अप्रैल 2013
एक छद्म आवरण ओढ़े है
प्रत्येक आदमी और
कितनी तरह से सम्प्रीति की
गाँठें बान्धकर
सम्बन्धों को जोड़े है
फिर भी कहता
यह प्रवँचना थोड़े है ।
झाउ का पुरवा (प्रतापगढ़), 04 अप्रैल 2013