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सम्बन्ध / रुस्तम

 
सम्बन्ध जैसा कुछ-कुछ रंग और दर्पण में भी था। लेकिन
उसे सम्बन्ध कहना उसे एक रंग में रंग देना था — रंग
जो निश्चित ही नीला था। रंग और दर्पण के विषय में
सोचना सिर्फ़ नीले के विषय में सोचना था। किसी भी
दर्पण में एक अपार नीला होता था, जो दर्पण की काया
में कुछ इस तरह से रहता था कि जब मैं नीला देखता था
मुझे केवल दर्पण नज़र आता था।