Last modified on 25 मार्च 2012, at 12:12

सम्मान / सुदर्शन प्रियदर्शिनी

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:12, 25 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुदर्शन प्रियदर्शिनी |संग्रह= }} {{KKCa...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


गिरवी रख कर
भूख
सम्मान पिघल
जाते हैं ..
छलनी हुई
मानवता से
इतिहास निगल
जाते है ..
आडम्बर को
ओड़ कर तो
जीने के
अभ्यस्त हैं हम ..
सोचते भी नही
की- कब
काल निकल जाते हैं 1
 ताक झाँक में
बीत गये
अतीत और वर्तमान
अपने से तो हम
आप निकल जाते हैं